✴️Tola Mai Sumirav Barambar Lyrics✴️
✳️Dilip Shadangi Panthi Geet Lyrics✳️
- गीत – तोला मैं सुमिरौ बारंबार
- स्वर – दिलीप षड़ंगी
- गीत – शिवप्रसाद पाटले
- संगीत – दिलीप षड़ंगी
- लेबल – एस बी म्यूजिक कोरबा
- रिकॉर्डिंग हेतु सम्पर्क करें 9827116703
करूणा दया के मूरत जानेंव
गिरौदपुरी धाम तोर
महंगु अमरौतिन के नंदन
चरण धूली तोर महके चंदन
हे अनुपम छवि तोर
गुरू घासी जी मोर
स्थायी
तोला मैं सुमिरौं बारंबार
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौं बारंबार
तोर महिमा हे अपार
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौं बारंबार
करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो
करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो
पानी अमृत जिहा
पानी अमृत जिहा माटी हा चंदन हो
करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो
करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो
अंतरा 1
बालक पन म एक बार फूल बारी बारी गेईन
एक झन लईका ल सांप हा काटिन
घासी ल आ के बताईन
सतनाम ल जप के घासी
सतनाम ल जप के बुधारू के करे उद्धार हो
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौं बारंबार
बालपन म करे चमत्कार
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौं बारंबार
करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो
करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो
पानी अमृत जिहा
पानी अमृत जिहा माटी हा चंदन हो
करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो
करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो
अंतरा 2
सांप ढंसे ला ठीक करे हे कहिके
मनखे मन कउवाईन
भाटाबारी भेज के घासी ला
मिरचा ल मंगवाईन
भाटा के बारी म मिरचा टोरिन
भाटा के बारी म मिरचा टोरिस
अचरज सब संसार हो
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौ बारंबार
तोर महिमा हे अपार
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौ बारंबार
देश विदेश ले जब घासी दास घूम के आइस अउसुनिस के ओकर नारी सपरा के स्वर्गवास हो गिस हे तबघासी दास कहिथे मोर नारी सपरा के लास ल खोज के लान देवौ गा मैंओला जिंदा करिहौ तब सब आदमी मन हा हांसी उड़ा के कहिथे छःमहिना के मरे नारी ल कईसे जियाबे गा जियाए सकबे त कालिच एक झन बछिया मरे हे ओलाजिया के बता घासीदास करिस सुमिरन सतनाम के जियाइस बछिया ल कमंडल ले थोरकन पानी डाल के
बोल गुरू घासीदास बाबा की जय
बछिया के दौड़ाई ल देख के
अचरज म सब पड़गे
धन हावै सतपुरूष ल कहिके
शरण म सब झन गिर गे
सब के आंखी ले निकले आंसू
सब के आंखी ले निकले आंसू
जईसे नंदिया थार हो
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौ बारंबार
तोर महिमा हे अपार
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौ बारंबार
जंगल के लकड़ी ल अब्बड़ जलावत हे घासीदास सुनके सोना खान के राजा के आदेश होथे घासीदास बाबा ल पकड़ के दंतेश्वरी माता के मंदिर म बंद कर देथे ताकि मईया ओला खा देहे लेकिन ओ तो सतपुरूष के अवतार ए ओला कईसे खाही दंतेश्वरी मईया सतपुरूष ल घासीदास म देखथे अउ घासीदास ल छोड़ देथे मईया राजा के राजपाठ ल तहस नहस कर देथे बेटा बिमार हो जाथे हाथीपागल हो जाथे तबराजा ल होथे सपना मा ज्ञान अउ वोहूं गुरू घासीदास के शरण म आथे अउकहिथे जय सतनाम
बोल गुरू घासीदास बाबा की जय
राजा ह चरण म गिर के संगी जैतखाम बनवाइस
परजा जन ल सत्यनाम के धूनी म रमाइस
आखिर म सतपंथी जीतै
आखिर म सतपंथी जीतै झूठ के होवै हार हो
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौ बारंबार
तोर महिमा हे अपार
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौ बारंबार
करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो
पानी अमृत जिहा
पानी अमृत जिहा माटी हा चंदन हो
करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो
करत हौं बंदन गिरौदपुरी के नंदन हो
तोला मैं सुमिरौं बारंबार
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौं बारंबार
तोर महिमा हे अपार
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौं बारंबार
तोला मैं सुमिरौं बारंबार
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौं बारंबार
तोर महिमा हे अपार
गुरू घासी मोर बाबा
तोला मैं सुमिरौं बारंबार