- गीत – रंग लाल सिंगार माई के
- स्वर – कांतिकार्तिक यादव
- गीतकार – मौनी लाला जी
- संगीत – ओपी देवांगन
- प्रकार – छत्तीसगढ़ी जस गीत
- लेबल – कोक क्रिएशन
स्थायी
हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल
सिंगार माई के अंग बर फूलवा लागे
हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल
सिंगार माई के अंग बर फूलवा लागे
फूलवा लागे माई बर फूलवा लागे
हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल
सिंगार माई के अंग बर फूलवा लागे
अंतरा 1
लाली हावै पांव के माहूर नख लागे बड़ा प्यारी गा
आनी बानी के जड़ीदार लुगरा लाली हावै किनारी गा
बम ललियाथे हाथ के मेंहदी रहिथे ओ हर बलिहारी गा
ओठ म लाली हर मुसकाए पुतरी लागे महतारी गा
यहो जोगनी लागे माई हर जोगनी लागे
हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल
सिंगार माई के अंग बर फूलवा लागे
अंतरा 2
लाली दशमत गल म छलके लाड दुलार ला पाए गा
कान करन फूल लटके लहसे जय जयकार बोलाए गा
कनिहा म करधन हांसे मुस मुस माई के महिमा गाए गा
बांहा भर चूरी कटा हा खनकत हांसे अउ मुसकाए गा
रूप सुन्दरी लागे माई हर सुन्दरी लागे
हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल
सिंगार माई के अंग बर फूलवा लागे
अंतरा 3
आदि भवानी तिरपुर सुन्दरी माया अईसे रचाए गा
मुख मंडल सुरूज अस चमके देव अस्तुति गाए गा
सोन बरन दिखे महामाई माथ म चंदा सुहाए गा
काजर कारी लागे कटारी देव दानव डर्राए गा
मोहनी लागे माई हर मोहनी लागे
हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल
सिंगार माई के अंग बर फूलवा लागे
अंतरा 4
केश घटा अस बिरबिट कारी नागिन अस लहराए गा
मुड़ के गजरा चंपा चमेली मंद मंद मुसकाए गा
आठो अंग म साजे सिंगारे पैजन छुन छुनाए गा
अंगरी के मुंदरी जोगनी लागे फुल्ली लुकलुकाए गा
शिव रानी कहाए माई शिवरानी कहाए
हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल
सिंगार माई के अंग बर फूलवा लागे
अंतरा 5
मांग म सेंदूर लाली कुकुम बंदन हा मन भाए गा
शिव के शिवानी हरे भवानी दया मया बरसाए गा
शीत रूप शीतला महागौरी हिमकैना कहाए गा
कांति ओम संग गा के जस तोर मौनी लाला हरषाए गा
जग सति कहागे माई हर सति कहागे
हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल
सिंगार माई के अंग बर फूलवा लागे
हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल
सिंगार माई के अंग बर फूलवा लागे
फूलवा लागे माई बर फूलवा लागे
फूलवा लागे माई बर फूलवा लागे
हो रंग लाल हो रंग लाल हो रंग लाल
सिंगार माई के अंग बर फूलवा लागे