ये ताना बाना रे – जिनगी के रद्दा – कांतिकार्तिक | Tana Bana – Jingi Ke Radda Lyrics

 ये ताना बाना रे – जिनगी के रद्दा
🌺 Jingi Ke Radda Lyrics 🌺
🌿CG Song Lyrics🌿


  • गीत – जिनगी के रद्दा
  • स्वर – कांतिकार्तिक यादव
  • गीतकार – ईश्वर साहू ‘बंधी’ जी
  • संगीत – ओपी देवांगन
  • लेबल – कोक क्रिएशन



 

स्थायी

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

 

काला तियागना हे काला अपनाना हे

काला तियागना हे काला अपनाना हे

कबीरा सिरतोन बताना

 

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

 

अंतरा 1

पोथी पढ़ी पढ़ी जगत के साधो

पंडित सार ना पाए हो

उरहा धूरहा बोली बचन ले

मया जार दूरिहाए हो

 

पोथी पढ़ी पढ़ी जगत के साधो

पंडित सार ना पाए हो

उरहा धूरहा बोली बचन ले

मया जार दूरिहाए हो

 

मया के आखर जिनगी म पढ़ ले

मया के आखर जिनगी म पढ़ ले

फेर पंडित तैं कहां ना

 

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

 

अंतरा 2

मनखे जनम धरे जिये रे असुर कस 

निर्बल के तन खाना हो

सुख पाए बर सब ला दुखाए 

अपने उपर खपलाना हो

 

मनखे जनम धरे जिये रे असुर कस 

निर्बल के तन खाना हो

सुख पाए बर सब ला दुखाए 

अपने उपर खपलाना हो

 

बिधि के बिधान बनाए विधाता

बिधि के बिधान बनाए विधाता

टोर के फेर झन बनाना

 

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

 

अंतरा 3

गुबजा पथरा मेर गोठियाए

दाई ददा सो अनबोल हो

जनम देवईया बैरी बने हे

बैरी सो हे भेद खोले हो

 

गुबजा पथरा मेर गोठियाए

दाई ददा सो अनबोल हो

जनम देवईया बैरी बने हे

बैरी सो हे भेद खोले हो

 

घर मंदिर हे बिन भगवान के

घर मंदिर हे बिन भगवान के

बिरथा भगति देखाना

 

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

 

अंतरा 4

चारी चुगली दूसर के आगु 

अपने अपन सहिराए हो

अपने चरित्तर तोप ढाक के

दुनिया भर खोधियाए हो

 

चारी चुगली दूसर के आगु 

अपने अपन सहिराए हो

अपने चरित्तर तोप ढाक के

दुनिया भर खोधियाए हो

 

बिरथा हे तोरे मान बड़ाई

बिरथा हे तोरे मान बड़ाई

पांच के पच्चीस बताना

 

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

 

अंतरा 5

कहत कबीरा सुन भई साधो 

जिनगी ला सुग्घर सरेख हो

परमारथ के रेंग ले रद्दा 

बने अउ गिनहा ला देख हो

 

कहत कबीरा सुन भई साधो 

जिनगी ला सुग्घर सरेख हो

परमारथ के रेंग ले रद्दा 

बने अउ गिनहा ला देख हो

 

कांतिकार्तिक अर्पण कर दे

ईश्वर सहज समर्पण कर दे

सत मारग अपनाना

 

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै

ये ताना बाना रे 

जिनगी के रद्दा नई खोज सकै



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