जिनगी भर जहर – दुकालू यादव | JINGI BHAR JAHAR LYRICS | CG SONG LYRICS

💕 जिनगी भर जहर 💕
🌹 JINGI BHAR JAHAR LYRICS🌹
🎵 CG SONG LYRICS 🎵
  • गीत – जिनगी भर जहर
  • स्वर – दुकालू यादव
  • गीतकार – पलटन साहू
  • संगीत – दुकालू यादव
  • कोरस – प्रवीण यादव, भुनेश्वर जंघेल
  • प्रकार – छत्तीसगढ़ी गीत
  • लेबल – DRY Music

स्थायी
जिनगी भर जहर दियो है
अब का देवत हव मिठाई
जिनगी भर जहर दियो है
अब का देवत हव मिठाई

देना हे त खुशी खुशी ले
देना हे त खुशी खुशी ले
आखरी दे दौ बिदाई
आखरी दे दौ बिदाई

जिनगी भर जहर दियो है
अब का देवत हव मिठाई
अब का देवत हव मिठाई

अंतरा 1
एक बचन मीठ कभु नई बोले
अब देवत हस अमृत गा
अब देवत हस अमृत
अगर म लागर चंदन बदन
मुरदा ला करत हव पबरित गा
मुरदा ला करत हव पबरित

एक बचन मीठ कभु नई बोले
अब देवत हस अमृत गा
अब देवत हस अमृत
अगर म लागर चंदन बदन
मुरदा ला करत हव पबरित गा
मुरदा ला करत हव पबरित

सब दिन करेव मोर बुराई
अब का मान बड़ाई
अब का मान बड़ाई

अंतरा 2
जियत ले तन उघरा बित के
मिलिस नही रे लंगोटी
मरे म पियर पीतांबर देथौ
अब देथौ लुगरा धोती रे
अब देथौ लुगरा धोती

जियत ले तन उघरा बित के
मिलिस नही रे लंगोटी
मरे म पियर पीतांबर देथौ
अब देथौ लुगरा धोती रे
अब देथौ लुगरा धोती

आंखी म देथौ बुंद बुंद आंसू
अब का रोना रोवाई
अब का रोना रोवाई

अंतरा 3
आदर पिड़हा दिये नही रे
काहे देवत हव कंधा जी
काहे देवत हव कंधा
एक लोटा पानी बर तरसेव
काहे लेगत हव गंगा जी
काहे लेगत हव गंगा

आदर पिड़हा दिये नही रे
काहे देवत हव कंधा जी
काहे देवत हव कंधा
एक लोटा पानी बर तरसेव
काहे लेगत हव गंगा जी
काहे लेगत हव गंगा

जियत भर सुध ना लियो है
अब का सुध जताई
अब का सुध जताई

अंतरा 4
तड़पत रहिगेंव भूख म जीवन भर
अब का धन लुटाए रे
अब का धन लुटाए
किसम किसम पकवान बना के
पंगत दियो खवाए रे
पंगत दियो खवाए

तड़पत रहिगेंव भूख म जीवन भर
अब का धन लुटाए रे
अब का धन लुटाए
किसम किसम पकवान बना के
पंगत दियो खवाए रे
पंगत दियो खवाए

प्रेम परम शांति दियो है
तुम का शांति देवाई

जिनगी भर जहर दियो है
अब का देवत हव मिठाई

देना हे त खुशी खुशी ले
देना हे त खुशी खुशी ले
आखरी दे दौ बिदाई
आखरी दे दौ बिदाई

जिनगी भर जहर दियो है
अब का देवत हव मिठाई
जिनगी भर जहर दियो है
अब का देवत हव मिठाई
अब का देवत हव मिठाई
अब का देवत हव मिठाई



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