डीही म डीहीवारीन दाई – कान्तिकार्तिक यादव | Dihi Ma Dihiwarin Dai Lyrics | Kantikartik Yadav Jas Geet Lyrics 

💥💕डीही म डीहीवारीन दाई💕💥
🌺Dihi Ma Dihiwarin Dai Lyrics🌺
Kantikartik Yadav Jas Geet Lyrics 


  • गीत – डीही म डीहीवारीन दाई
  • स्वर – कान्तिकार्तिक यादव
  • गीत – मौनी लाला
  • संगीत – ओपी देवांगन 
  • रिकॉर्डिंग – स्वरांजलि स्टूडियो
  • लेबल – कोक क्रिएशन

 

स्थायी

डीही म डीहीवारीन दाई

मुसुर मुसुर मुसकावत हे

डीही म डीहीवारीन दाई

मुसुर मुसुर मुसकावत हे

अपन भगत के दुख सुख ल

अपन भगत के दुख सुख ल

हांस के गले लगावत हे

 

अंतरा 1

तोर डीही के घेरा डेरा म कुरिया हावै बनाए

दया मया बरसाबे ओ दाई पंवरी म लेबे बसाए

बड़ मयारू माता हस मोर सुध राखे हौ लमाए

एक घड़ी आठो घड़ी पुनी पुनी याद समाए

भगती के भाव म जग हा परे हे

भगती के भाव म जग हा परे हे

तभे सेवा बजावत हे

 

अंतरा 2

लाखो आथे तोर दुवारी किरपा पाए ल महतारी

कोन्हो नवा बहूरिया हावै कोन्हो बांझन महतारी

आशा पुराथस दाई भगत के सुग्घर ओरी पारी

कोरा म लईका ओ हा खेलाथे बन के ओ महतारी

जीवन बगिया के तैं माली अस

जीवन बगिया के तैं माली अस

सेवा तोर पावत हे

 

अंतरा 3

धरम दुवारी तीही हरस वो ऐ मोर बूढ़ी माई

सेवा भाव ल हमन नई जानन नई जानन तिरताई

नीम के छंईहा तोला सुहाथे तरिया पार सुख दाई

धोवा पहिरनी पहिरे माता धरम रूप रूपसाई

सेवा भाव ले सेवा कर के

सेवा भाव ले सेवा कर के

सुग्घर भव हरियावत हे

 

अंतरा 4

बीरा सुपत सम्मार के तोरे बार रथे मोर दाई

चौरी चनादार दूध दही कच्चा तेल हरदी चघाई

अलहन अनहोनी के हरईया ए मोर शीतला दाई

रोगराई ल तैं हा नसाथस भैरव लंगुरवा हे भाई

कांतिकार्तिक मौनी लाला

कांतिकार्तिक मौनी लाला

तोर चरण रज पावत हे

अपन भगत के दुख सुख ल

अपन भगत के दुख सुख ल

हांस के गले लगावत हे



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