- गीत - रंग दे केसरिया
- स्वर - कांतिकार्तिक यादव
- गीतकार - सुमंत यादव
- संगीतकार - ओपी देवांगन
- लेबल - KPL Film's
तोर मया के नयन गरी म
मैं हां जोही बंधा गे हंव
दुनिया भर मोर काया दिखत हे
मैं तो पिरीत म सना गे हंव
मैं तो पिरीत म सना गे हंव
स्थायी
मोर मन ल रंग दे रे केसरिया
मोर मन ल रंग दे रे केसरिया
तन म घोर दे पिरीत के परसा
तन म घोर दे पिरीत के परसा
अपन बना ले सांवरिया
मोर मन ला रंग दे रे केसरिया
मोर मन ला रंग दे रे केसरिया
अंतरा 1
ऋतुवा बसंत के हरियर लुगरा
पहिर ले मयारू सतरंगी अस खिनवा
हुर हुर पिचकारी तोर नैना के काजर
केश के अबीर जईसे छाए कारी बादर
छिच दे बिजहा वो राहै झन धरसा
छिच दे बिजहा वो राहै झन धरसा
चमका दे रे बिजुरिहा
मोर मन ल रंग दे रे केसरिया
मोर मन ल रंग दे रे केसरिया
अंतरा 2
आभा बोली बन गे हे अंतस के आखर
मोर जईसे बुंदिया हा बन गे अब सागर
जिनगी म आके तैं कर दे अंजोरी
फगवा म मोर संगी बन जा हमजोली
कांतिकार्तिक के बीते दिन अरसा
होरी म सुमंत के बीते दिन अरसा
सुर म करदे रे बांसुरिया
मोर मन ल रंग दे रे केसरिया
मोर मन ल रंग दे रे केसरिया
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