गरीबी म आटा गिला - दुकालू यादव | छत्तीसगढ़ी होली गीत लिरिक्स

 गरीबी म आटा गिला
GARIBI MA AATA GILA LYRICS
छत्तीसगढ़ी होली गीत

  • गीत - गरीबी म आटा गिला
  • स्वर - दुकालू यादव
  • छत्तीसगढ़ी होली गीत
  • एल्बम - होली के मीठ बोली
  • लेबल - केके कैसेट


स्थायी

अरे महंगाई के मार रे संगी

झेलत हे संसार

अरे रंग गुलाल कहां ले लावौ

अउ कामा मनाबो तिहार


महंगाई म कहां के रंग गुलाल रे

गरीबी म आटा गिला ना

ये गरीबी म आटा गिला ना रे

गरीबी म आटा गिला ना


ये खाली बटवा म नई हे माल वाल रे

गरीबी म आटा गिला ना

खाली बटवा म नई हे माल वाल रे

गरीबी म आटा गिला ना


अंतरा 1

साठ रूपिया किलो टमाटर 

कामा खाबो चटनी

आलू प्याज के भाव ल सुन के

रोवै सब के पतनी

नोहर होगे, नोहर होगे

नोहर होगे खाए बर राहेर दाल रे

गरीबी म आटा गिला ना

महंगाई म कहां के रंग गुलाल रे

गरीबी म आटा गिला ना

अंतरा 2

भ्रष्ठाचारी बेरोजगारी 

हमर देश के हाल हे

कुर्सी म बईठे नेता अधिकारी 

उही मन मालामाल हे

ए ठेला रिक्सा, ठेला रिक्सा

ठेला रिक्सा वाला हे कंगाल रे

गरीबी म आटा गिला ना

महंगाई म कहां के रंग गुलाल रे

गरीबी म आटा गिला ना

अंतरा 3

महंगाई के आगी ले बढ़ के

पेट के आगी होथे

बड़ हर खाथे दाल घी संग 

निर्धन भूखे सोथे

ए कोसरिया के, कोसरिया के

ए कोसरिया के इही हे सवाल रे

गरीबी म आटा गिला ना

महंगाई म कहां के रंग गुलाल रे

गरीबी म आटा गिला ना


ये गरीबी म आटा गिला ना रे

गरीबी म आटा गिला ना

खाली बटवा म

खाली बटवा म नई हे माल वाल रे

गरीबी म आटा गिला ना

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