- गीत : रंग झाझर मचगे
- गायक : मनहरण साहू
- गीतकार : परमानंद कठोलिया
- संगीतकार : मनहरण साहू
स्थायी
रंग झाझर मच के रण मा गा दुर्गा उमियागे
रंग झाझर मच के रण मा गा दुर्गा उमियागे
रंग झाझर मच के रण मा गा दुर्गा उमियागे
रंग झाझर मच के रण मा गा दुर्गा उमियागे
अंतरा 1
हो कोन ला खाही कोन ला बचाही
काखर जिनगी के दीया बुतरही
कोन ला खाही कोन ला बचाही
काखर जिनगी के दीया बुतरही
संग दे बर काली आगे ना
रंग झाझर मच के रण मा गा दुर्गा उमियागे
अंतरा 2
रकतबीज सेना धर उमगे रण भुंईया म गरजे गा
बघवा म बईठे गा दूरी कदम के रकतबीज ला बरजे गा
रकतबीज सेना धर उमगे रण भुंईया म गरजे गा
बघवा म बईठे गा दूरी कदम के रकतबीज ला बरजे गा
हो लहूट जा रण भुंईया ले बैरी नही तो माता देहूं गईरी
लहूट जा रण भुंईया ले बैरी नही तो माता देहूं गईरी
माता में बैरी बतियागे ना
रंग झाझर मच के रण मा गा दुर्गा उमियागे
अंतरा 3
रकतबीज के छाती ला भेदे भाला में दुर्गा हर गा
लहू चुचुवावै रकतबीज के उपजे बरन अस रण भर गा
रकतबीज के छाती ला भेदे भाला में दुर्गा हर गा
लहू चुचुवावै रकतबीज के उपजे बरन अस रण भर गा
हो काली ला दुर्गा हा तियारे रहीबे रउहत तैं हुसियारे
काली ला दुर्गा हा तियारे रहीबे रउहत तैं हुसियारे
खप्पर ला वो उबागे ना
रंग झाझर मच के रण मा गा दुर्गा उमियागे
अंतरा 4
धान लुऐ अस भूतवा ला लुवै काली के गा ये खप्पर गा
झोके लहू ला सप सप पिये काली माता जी भर गा
धान लुऐ अस भूतवा ला लुवै काली के गा ये खप्पर गा
झोके लहू ला सप सप पिये काली माता जी भर गा
हो कतको खूंदा के पिचकागे बाचे खोचे बुलक भगागे
हो कतको खूंदा के पिचकागे बाचे खोचे बुलक भगागे
दुर्गा आगु म झपागे ना
रंग झाझर मच के रण मा गा दुर्गा उमियागे
अंतरा 5
झपट के दुर्गा चुंदी ला धरे रकतबीज ला काटे गा
काली माता खप्पर टेका के लहू ला जीभ में चाटे गा
झपट के दुर्गा चुंदी ला धरे रकतबीज ला काटे गा
काली माता खप्पर टेका के लहू ला जीभ में चाटे गा
हो परमानंद कठोलिया गोहारे पूजा पाये चईत कुंवारे
हो परमानंद कठोलिया गोहारे पूजा पाये चईत कुंवारे
तीनो संग पूजागे ना
रंग झाझर मच के रण मा गा दुर्गा उमियागे