- गीत : औघड़िया के बिहाव
- गायक : कांतिकार्तिक यादव
- गीतकार : गुरूदेव मौनी लाला जी
- संगीतकार : ओपी देवांगन
- लेबल : कोक क्रिएशन
स्थायी
मन माते हावै सब के हिम अऊ कैलाशे मा
मन माते हावै सब के हिम अऊ कैलाशे मा
मड़वा म मन हरियाव
मड़वा म मन हरियाव
के परबतिया संग औघड़िया के होवत हे बिहाव
के औघड़िया संग परबतिया के होवत हे बिहाव
मन माते हावै सब के हिम अऊ कैलाशे मा
मन माते हावै सब के हिम अऊ कैलाशे मा
मड़वा म मन हरियाव
मड़वा म मन हरियाव
के परबतिया संग औघड़िया के होवत हे बिहाव
अंतरा 1
त्राहि त्राहि हे जग म धरम नसाये हे
ताड़कासुर हा तीनो लोक धधकाये हे
बैरी के वध के उपाय
बैरी के वध के उपाय
के परबतिया ला अवघड़िया हा सुग्घर बिहाय
अंतरा 2
सातो ऋषि मन राजा हिम ला मनाए हे
जग के उद्धार खातिर लगन धराए हे
पुरवासी मंगल गीत ला गाए
पुरवासी झूमे नाचे गाए
के परबतिया ला अवघड़िया हा सुग्घर बिहाय
अंतरा 3
चंड़ी बने हे चंड़ी बने हे दाई स्वासिन ढेड़हिन
दाई स्वासिन ढेड़हिन
बिहाव होवत हे भोला के दरबार
अंग भभूते अंग भभूते
हो राख ला चुपरे
देखो राख ला चुपरे
बूढ़ी माई देथे अचरा के भार
अजब सिंगारे अजब सिंगारे
हो आठो अंग म
देखो आठो अंग म
सजे हे गल म सरपन के सिंगार
मुड़ म हे गंगा मुड़ म हे गंगा
देखो माथ म चंदा
देखो माथ म चंदा
बारात निकले भोला के रतिहा पहार
अंतरा 4
ये दे अनहर बरतिया के रूप बरन हा
बईहा भूतहा अस लागत हे जी
देखो कखरो त आँखी अऊ कान बड़े हे
कोनो ह पाछू म झाकत हे जी
चीखे चिल्लाये उऊ दुर्रा बजाए
बाजा के संग म नाचे अऊ गाए
बारे भभका चिलम गुंगवाए
हर हर भोला के जाप सुनाए
ये दे अनहर ये दे अनहर
ये दे अनहर बरतिया के रूप बरन हा
बईहा भूतहा अस लागत हे जी
अंतरा 5
आगे बरतिया आगे बरतिया
पुरवासी गोहराये जी
आगे बरतिया आगे बरतिया
पुरवासी गोहराये जी
दुल्हा के सिंगार देखत
नंगत हड़बड़ाये जी
अलकरहा सिंगार देखत
पुरवासी थरथराये जी
अलकरहा सिंगार देखत
पुरवासी थरथराये जी
हिम मैना के चार करे अऊ
करम फूटहा कहाये जी
हिमांचल के करम हा फूट गे
दमांद अईसे पाये जी
हिमांचल के करम हा फूट गे
दमांद अईसे पाये जी
मैना दाई हा देखत दूल्हा
गस खा के गिर जाये जी
अरजी अस्तुति कर के उमा हर
गत गढ़न संवराये जी
अरजी अस्तुति कर के उमा हर
गत गढ़न संवराये जी
चन्द्र शेखर के पद ला पा के
सुग्घर दूल्हा कहाये जी
देवगन के बाजा बाजे
सात भांवर पर जाये जी
देवगन के बाजा बाजे
सात भांवर पर जाये जी
शिव के उमा अऊ उमा के शिव हा
बंधना म बंध जाये जी
बूढ़ा देव अऊ बूढ़ी माई
जग भर म पुजाये जी
बूढ़ा देव अऊ बूढ़ी माई
जग भर म पुजाये जी
कांतिकार्तिक मौनी लाला
मंगल जस ला गाए जी
हर हर भोला जय हो भवानी
सरी जगत हरसाये जी
हर हर भोला जय हो भवानी
सरी जगत हरसाये जी