गीत : तोर मया के बोली खातीर
गायक : स्व. मिथलेश साहू, ममता चंन्द्राकर
गीतकार : प्रेम चंन्द्राकर
संगीतकार : प्रेम चंन्द्राकर
तोर मया के बोली खातिर सुध बुध मै हा भुलागेव
बिन पानी के मछरी बरोबर तड़प के मै अधियागेव
मुड़ी ला कोरेव लियेव लाली मै हा चिंता मा पड़गेव
आ जाबे काली तोला देखे बर संगी
जिवरा तरसे मोर नैना बरस गे
नई आये कईसे मै हा मने मन गुनवौ
पलंग मा सुतौ निंदे नई आवै रे दोस
काचा सुपारी ओ सरोता चाही या
सरोता चाही या
तोर बोली अउ बचन के
तोर बोली अउ बचन के
ये भरोसा चाही या
ये भरोसा चाही या संगवारी
संगी जहूरिया देवत हे ताना का होगे टूरी ला
तै जरूर आना तोर सुरता मा मर गेव
तै भूलाये कईसे तोर नैना बरस गे
नई आये कईसे मने मन गुनौ पलंग मा सुतौ
निंदे नई आवै रे दोस
नंदिया कछारे ओ
फरेहे लाली जाम
फरेहे लाली जाम
तोरे खातिर मै हा बही
तोरे खातिर मै हा बही
होगेव बदनाम
होगेव बदनाम संगवारी
डोंगरी पहाड़े होगे बैरी ठोली बोली मारत हे
कारी रे कोयली बैरी आँखी मा काबर
तै हमाये कईसे नैना बरस गे
नई आये कईसे मने मन गुनौ पलंग मा सुतौ
निंदे नई आवै रे दोस